Sajida Akram
Others
बृज में होरी खेलत है नंदलाल,
हर बृज की बाला बृज में
राधा बनी,
होरी खेलत है नंदलाल,
लठ्ठ मारत है बृज बाला,
हर ओर रंग- बरसे है,
मची है धूम होरी की,
बृज बाला बनी है राधा
हौसला
"रफ़ूगार"(ग़ज...
ख़्यालों
"कविता का शीर...
धूनकी-धूनकी ल...
"ओंस"
"सुर्ख गुलाब"...
"किस मोड़"
"मखमली"
"बिटिया"... क...