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Rashmi Lata Mishra

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Rashmi Lata Mishra

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रिमझिम पड़े फुहार

रिमझिम पड़े फुहार

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बरखा लाई बहार सखी री

रिमझिम पड़े फुहार सखी री

जब घिर आएं घटाए काली

मोर दये पँख पसार सखी री

भीगी-भीगी ऋतु ये, भीगा मौसम

भीगी गली हमार सखी री

गलियन संग-संग भीगे नैना

पिय की राह निहार सखी री

रिमझिम पड़े फुहार सखी री।


सौंधी महकन महके मक्का री

ठंडी चली बयार सखी री

डारन-डारन पड़ गयो झुलना

दियो बाबुल संदेश पठाय सखी री

आ गयी मोरी संगी सहेली

मेरो मन अकुलाय सखी री

रिमझिम पड़े फुहार सखी री

बचन पपीहरा बान चलावत

चैन नहीं घर-द्वार सखी री

हरी-हरी मेंहदी हाथों रच गयी

कर बैठी सिंगार सखी री

मनवा डोले पातन जैसा

रिमझिम पड़े फुहार सखी री



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