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Amit Kumar

Others

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रास्ते

रास्ते

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रास्ते जाने कहाँ ले जाये

हम जानदार बशर को

अपने बेजान पथ पर

रगड़ते रगड़ते

कच्चे रास्तों पर मुँडेर भी देखी है

देखा है बारिश का

गिरना भी उन मुंडेरों पर

उन रास्तों का भीगना

मानो गीला कर देता है

हमारे मंज़िल पर

आगे बढ़ने के हौसलों को

और पक्के रास्ते

मानो कहीं क़ब्र में दफ़्न

लोगों की नुमाइंदगी कर रहे हो

और कह रहे हो

आओ और तुम भी

इन सुनसान बेज़ान

क़ब्रिस्तानों में शुमार कर लो

खुद को और

हम कहा रहे हो

उठ बांध कमर क्या डरता है

फिर देख हौंसला क्या करता है


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