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Ajay Singla

Others

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रामायण-सुंदर कांड

रामायण-सुंदर कांड

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सुरसा लेने आयी परीक्षा

उसको नहीं निराश किया,

बुद्धि से तब हनुमान ने

उसकी परीक्षा को पास किया।


समुन्द्र लाँघ कर पहुंचे लंका

लंकिनी को घूँसा मार दिया,

राम नाम जप रहे विभीषण ,

सीता का उनसे पता लिया।


अशोक वाटिका पहुँच गए जब

रावण और असुर आये,

सीता जी को लगे डराने

सीता का मन घबराये।


एक राक्षशी नाम त्रिजटा

उन सब में अच्छी थी जो ,

सीता जी को वो समझाती

उनकी रक्षा भी करती वो।


हनुमान ने सामने आ के

राम मुद्रिका दिखलाई,

सीता भूल गयी अपना दुःख

उनकी जान में जान आयी।


अशोक वाटिका को उजाड़ा

राक्षसों का संहार किया,

अक्षयकुमार था रावण पुत्र

वहां उसको भी मार दिया।


मेघनाथ ने नागपाश में

उनको फिर था बाँध लिया,

ले गए फिर उनको सभा में

समक्ष रावण के पेश किया।


आग पूंछ में जब लगाई

किसी को न फिर माफ़ किया,

कूद फांद कर सारी की सारी

लंका को तब राख किया।


आग बुझा कर सागर में

 सीता के सामने वो खड़े,

चूड़ामणि उनसे फिर लेकर

श्री राम की तरफ बढे।


चूड़ामणि जब राम को दीनी

सेना ने लंका को प्रस्थान किया,

समुन्दर तट पर पहुँच गए जब 

''पड़ाव डालो ''ये हुकम दिया।


रावण लात विभीषण मारी

लंका से निकाल दिया,

मंत्रियों के संग वो आये

शरण प्रभु ने उनको लिया।


तीन दिनों तक की उपासना

पानी सागर का न थमा ,

क्रोध में राम ने धनुष उठाया

सागर तब मांगे क्षमा।


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