राधा संग शाम
राधा संग शाम
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रंग रंग दो मेरा तनमन
सप्तरंग में खिलें यौवन
आज न रखना कुछ भी बाकी
दिल से खेलो रंग में सखी
लाज के मारे अखियाॅं नीचे
छेड़े सखियाॅं पिचकारी खिंचे
सखियों तो राधा बहाना
तुझको तो है रंगमें नहाना
गोरी राधा संग शाम मुरारी
छोड़ मुरारी मारे पिचकारी
नवरंग में ये रास रचायें
संग राधा के जग को नचाये
कहे सूर्यवंश बात पुरानी
हर जीवन की यही कहानी