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Dayasagar Dharua

Others

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Dayasagar Dharua

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रा.ना.वि.

रा.ना.वि.

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तेरे बारे में जब से जाना

पहुँचना तुझ तक है ये ठाना

रातें सुन्न हो गयी थी तब से

पलकों में वजन ही न रहता था

जागे जागे सपने तेरा संजोता था


तेरी बहुत तारीफ़ें मैने सुना था

के तू भारत के दिल में बसता है

जो कभी इंद्रप्रस्थ था

आज दिल्ली कहलाता है

पर मेरी राय है के

तू हर कलाकार के दिलों में बसता है

और कलाकार जनता के दिलों में बसता है

इसीलिये कहीं ना कहीं

तू सभी के दिलों बसता है


तेरी अफवाहें भी

मेरी कानों तक पहुँची है

के कलाकार जो कभी टुटता नहीं

तू उन्हीं कलाकारों को तोड़ता है


तेरे बारे में बहुत सुना था

अब वाकिफ तुझसे हो आया हूँ

तेरे माहोल में कुछ पल जी आया हूँ

बार बार तेरा ही नाम रटता था

अब तेरे सामने खड़े रह कर

तेरा नाम पढ़ आया हूँ

रे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय!

मैं एक विप्रलंभी प्रेमी

आज तुझ से मुलाकात कर आया हूँ

एक सपना था

जो आज सच कर आया हूँ।


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