प्यार यही है
प्यार यही है
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सावन के बारिशों की वो शबाब बूंदें
जो धरा पर पड़ती है तो
लगता है मानो बरसों की प्यास बुझ
रही है।
प्यार यही है
फूलों के ऊपर शबनम की ख़ूबसूरती
जो फूल पर पड़ती है तो
लगता है मानो मोती चमक रही हो।
क्या यही प्यार है
एक-दूजे की भावनाओं की क़द्र करते
हुए साथ निभाना
जो इंसान पर पड़ती है तो
लगता है मानो इंसानियत एक
रूह हो रही हो।
हाँ यही प्यार है
मुस्कान से हँसता हुआ नूरानी चेहरा
जो आईने में पड़ता है तो
लगता है मानो ख़ूबसूरत हुस्न
निहार रही हो।