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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Others

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Others

" प्यार का उपहार "

" प्यार का उपहार "

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हम जाँबाज़ परिंदे

बन गए ,

अपने पंखों को

फैलाये क्षितिज

पर छा गए।


सारी दुनिया

हमारे छोटे से यंत्रों

में सिमट कर

रह गयी ,

ज्ञान गंगा की

धारा इसमें सदा

बहने लगी।


बिछुड़े हुए

दोस्तों की

कुछ टोलियाँ

हमें मिल गयीं,

हमारी बेशक बदली

शक्ल सूरत

की पहचान हो गयी।


अब तो नए मित्रों

का चलन

सर चढ़ के बोल

रहा है,

गाँव ,शहर ,देश

की बात कौन करे

विदेशों से जुड़

रहा है।


सब विधाएं

यन्त्र से हम

अब धनुर्धर बन

गए हैं,

परमाणुओं की

युध्य कौशलता

के हुनर हमको

आ गए हैं।


पर बात चुभती है

ह्रदय को बेधती

और कोसती है,

संवाद और बातें

भूल कर

होती नहीं है।


संवाद से ही हम

उन्हें

जान जाते हैं,

कैसी उनकी

भावना है

पहचान जाते हैं।


हमारी लालसा

होती है

हम अधिक से अधिक

मित्रों को बनायें,

पर मित्र बनके

नहीं उचित है

पाताल में छुप जाएँ।


आपकी

समालोचनाओं

और टिप्पणियों

से प्राण का

संचार होगा,

हम सदा जुड़ के

रहेंगे यही प्यार का

उपहार रहेगा।



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