प्यार ही प्यार
प्यार ही प्यार


सूर्य और चंद्र हैं
सभी के जीवन का आधार।
प्रेमियों को मिलन का अवसर
देते उष्मा और शीतलता बनकर।।
दिन और रात होते गवाह
सूर्य चन्द्र की उपस्थिति पर।
प्रक्रिया यही हर दिन चलती
निरंतर, अनवरत इसी धरती पर।।
सदियों से इतिहास रहा प्रेमियों
को बर्दाश्त ना, कर सका जमाना।
जात वर्ग समाज ऊँच नीच तक
ही रहा, प्रेमियों का दुश्मन जमाना।।
सूर्य चन्द्र जैसे, निस्वार्थ देव
कर्मों से अपने, सबकी सेवा कर रहे।
आज सभी प्रेमी अपने
स्वार्थपूर्ति तक ही, सेवा कर रहे।।
प्राणियों की है, यही विशेषता
प्रभू के बनाएं, सभी बंदों की।
इक दूजे से सभी, प्रेम हैं करते
चाँद सूर्य साथ, प्रेमियों के दशा की।।
प्रेम है प्रभू का, अनमोल उपहार
बिना प्रेम जग, में नहीं प्रकाश।
चाहे जितनी लंबी, हो अमावस्या
तम का सूर्य चंद्र, मिल करते विनाश।।