पुरानी किताब
पुरानी किताब
पुरानी किताब,
ज्यों बासमती चावल,
ज्यों पुरानी शराब--
जितनी पुरानी,
उतना ही नशा गहरा,
और पुरानी सी मेरी उम्र,
इक नशा, मेरी फितरत,
ज्यों-ज्यों चढ़ा,
एक पैग, एक पैग और----
गहराता ही गया--
और वो देखो ,
पुरानी किताबों के पात्र
आज भी दिल से झांक रहे हैं,
चंदर और सुधा---
मुस्कुराते हुए चले आ रहे हैं,
हामिद नया चिमटा लिए,
दादी की आंखों को---
छलकता देख रहा है,
और दाने, दाने को तरसती,
बूढ़ी काकी,
यादों में लहरा रही है
'गोदान' और 'गबन' के पन्ने
फड़फड़ा रहे हैं,
और एकला चलो रे!
देखो तो----
रवींद्र नाथ चले आ रहे हैं -
पर ये क्या??
ये पात्र कौन सा,
नया रोल निभा रहे हैं?
चंदर और सुधा---
राज और सिमरन की तरह,
एक नई जिंदगी जीने के लिए,
फ़रार हो जा रहे है,
हामिद ने ला दिया है,
दादी को रोटी मेकर,
गोदान और गबन के पात्र,
करोड़ों में "भूमि अधिग्रहण" का
मोल पा रहे है,
"गोडसे" गले मे मालाएं पहने,
हाथ मे पिस्टल,
चुनावी रैली को,
संबोधित कर रहा है,
लोग तालियां बजा रहे हैं,
गबन करने वाले,
शार्क की तरह,
अब कर रहे हैं हवाई यात्रा,
छोटी मछली को पकड़,
पुलिस वाले शाबासी पा रहे हैं,
देखो तो,
गब्बर और बसंती,
इक दूजे का हाथ थामे,
जय, वीरू को चिढ़ा रहे हैं,
गोया कि पुरानी किताबों के चरित्र,
पछता रहे हैं, अपनी गलतियों पर,
नए हुए जा रहे हैं,
और रवींद्र नाथ की श्वेत दाढी,
उसे रख लोग,
एकला नही,
हम दो हमारे दो का किरदार बन,
इतिहास बना रहे हैं
हैप्पी होली, रंग भरी होली।