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Neerja Sharma

Others

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Neerja Sharma

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पत्ते

पत्ते

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पत्ते 

शाख से झड़े पत्ते

खुद भी इतरा रहे हैं

पास खड़ी सुंदरी को देख

मुस्कुरा रहे हैं 

टहनी से अलग हो गए तो क्या !

आज भी अपने रंगों से

सबको लुभा रहे हैं 

तुमने पास आ

जो मान दिलाया है 

हम में भी दिल है

यह अहसास दिलाया है 

कल शाख पर

हमसे रौनक थी 

आज भी जमीं को

हमने सजाया है ।



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