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Jeetal Shah

Others Children

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Jeetal Shah

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पतंग सी मेरी डोर

पतंग सी मेरी डोर

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उड़ी मैं आज हवा में उड़ी,

ले के रिश्तों की डोर, 

चली मैं बादलों से, 

मिलने चली, 

हवाओं ने बदले,

रूख अपने, 

सितारों ने भी,

चमकाई चाँदनी, 

अपनी,

कदम अब नहीं,

जमीन पर,

चली चली मैं,

पतंग के डोर,

सी चली,

ऊँचे गगन को,

मिलने चली। 

नये रिश्ते, 

नई उम्मीद, 

नई राह पर, चली 

सपने लिये इन,

आंखों में आज, 

सपने संजोये,

चली ,

बादलों  से आज, 

बातें  करने चली,

आज फिर एक,

नई उम्मीद लिए,

चली। 

अमनो को  अपना 

बनाने चली। 



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