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Vaishno Khatri

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Vaishno Khatri

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पति का बटुआ

पति का बटुआ

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14 हे फागुन तुम कभी न आना


हे बादल प्रियतम से कहना कर रही हूँ मौज। 

सारे फिक्र को छोड़ रूपये भेजते रहना रोज़।

छुट्टियाँ खराब न करे उसकी मिलती है रकम। 

ईश्वर दे सद्बुद्धि हरदम वह मानता रहे हुक्म। 

कहना तेरी पत्नी कभी भी वियोग में रोती है।

जब भी मिले पैसा तुम्हारा तब खुश होती है। 

 


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