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Vaishnavi Mohan Puranik

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Vaishnavi Mohan Puranik

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प्रथम पूज्य गणेश

प्रथम पूज्य गणेश

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प्रथम पूज्य तुम

गौरी पुत्र गणेश

महिमा तुम्हारी निराली

तीनों लोकों में विशेष

गणों के तुम अधिपति

भक्तों के विघ्नहर्ता

सुख सम्पत्ती दायक

दीनों के पालनकर्ता

माता तुम्हारी पार्वती

पिता स्वयं शंकर

विद्या बुद्धि के प्रदाता

सबसे श्रेष्ठ हैं मोरेश्वर

रिद्धि सिद्धि के दाता

देखो वरद विनायक

मोदक जिनको प्रिय

ऐसे हैं प्यारे गणनायक

वेद शास्त्र मुनि

सब करते वंदन

भक्तों की पीड़ा हरते

क्षण भर में गौरीनंदन

रिती नीति के ज्ञाता

सब तुम में विदित

तीनों लोकों की शक्ति

तुम्हारे अंदर निहित

मूषक तुम्हारा वाहन

कहलाते हो एकदंत

मनमोहक तुम्हारी छवि

ऐसे करुणामयी भगवंत

तन मन धन सब

करते तुमको अर्पण

तुम्हारे चरणों में बसा

हम भक्तों का जीवन

रुप तुम्हारा तेजस्वी

कीर्ति अलौकिक अपरम्पार

हे सारे जग के दाता

नमन तुम्हें हैं बारम्बार



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