परमेश्वर की मां
परमेश्वर की मां
बांझ का ताना दे
दुत्कारी गई बार - बार
छोड़ जुल्मी संसार
वो चली आई वृन्दावन
कुंज गलियों में भटकती
कान्हा - कान्हा जपती
एक दिन मुस्करा उठी
गोद में ले छोटा कन्हैया
वो गा उठी
जर्जर तन में मानो
आ गये हों प्राण
टूटे मन में बसा ममत्व
अंजुरी भर -भर
उढे़लने लगी
धूप -दीप, फूलमाला से
उसकी अंधेर कोठरी
महकने लगी
वो सुनाने लगी लाला को ही
लाला की लीलायें
वो करने लगी लाला संग
बालपन सी क्रीड़ायें
उसने ढूँढ लिया अपने
जीवन का उद्देश्य
उससा सौभाग्यशाली कोई है भला
देखो! वो अब
परमेश्वर की मां है.........