परियों की कहानी
परियों की कहानी
सुनो सुनो एक कहानी सुनो,
वो महलों में रहती थी,
उसके सपनों की दुनिया बड़ी निराली थी,
जीना चाहती खुले पक्षियों की भांति,
पर उसको न इसकी आजादी थी,
सुनती रोज परियों की कहानी वो,
उसकी जैसा बनने की ठानी उसने,
रोज नये ख्वाबों को सजाती वो,
उन पर अपना आशियाना बनाती वो,
बिखर गए उसके सपने सारे,
बिखर गया वो आशियाना,
जब उठी वो स्वप्न से,
तो बस आंखों का ख्वाब बन रह गया,
फिर वही काम में उलझी वो,
दिन भर चारदिवारी में कैद रहती,
उड़ते पक्षियों को खिड़की से देख,
बस खुश होती रहती वो।