प्रिय नाम का गोदन
प्रिय नाम का गोदन
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हर किसी के सीने में,
दिल को बनाया ईश ने।
दिल को भाए वो रचा है,
श्रृष्टि में जगदीश ने।।
कोई माता पिता गुरु,
आसीन करके हृदय में।
पूजता है सतत रहता,
मस्त उनके प्रेम में।।
कोई प्रियतम प्रेयसी के,
प्यार में खोया यहां तक।
नाम गुदवा व्यक्त करते,
चाह है कितनी कहां तक।।
जो रुचे दिलबर को वो,
तन पर गुदाते वो सहज।
प्यार है सबसे अधिक,
करते प्रदर्शित वो महज।।
गोदना है तो हृदय में,
गोदिए प्रिय नाम को।
प्रेम होगा अमर होगी,
याद आठों याम को।।
