परिवार
परिवार

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इंसान समाजिक प्राणी,
परिवार ही इसका आधार,
इसमें ही वो सीखता,
अच्छे बुरे शिष्टाचार।
परिवार ही हर समाज की धुरी,
इसके चारों ओर ही
समाजिक अपेक्षाएं घुमती,
परिवार में रह कर ही
वो जी पाता सही मायने में,
यही से निकलते भिन्न भिन्न
समस्याओं के समाधान।
इसलिए ये सही,
अगर करनी आदर्श समाज की कल्पना,
परिवार को होगा केंद्र बिंदु में रखना।