Mistry Surendra Kumar
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दरख़्तों के साए में कई मकान बाकी हैं,
आधे अधूरे ही सही कई अरमा बाकी हैं ।
अभी तो शुरु हुआ है जिंदगी का सफर ऐ मेरे दोस्त !
लक्ष्य की मंजिल तक कई इंतहा बाकी हैं ।
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