पर्दां हटाओ
पर्दां हटाओ
घुंघट प्रथा दिखावां लगती है।
जो कहते है घुंघट ओढ़ लो।।
कठपुटली नहीं अधिकार मांगना चाहती हूं।
सर उठा कर जीना चाहती हूं।
कह दो उनको आंखों पर काला चश्मा लगा लो।
या मोतिया बिंद का ऑपरेशन करवा लो।
कुछ आंखो को आराम दे दो।
आराम से औरतों को भी सांस लेने दो।
कुसूर औरत होने का नहीं।
ख़ुद घुंघट ओढों तो मानें।
कुसूर इज्ज़त का नहीं निगाहों में।
नज़रे तुम्हारी गन्दी होती है।
घुंघट औरत की शर्म का गेहना कहते हो।
ख़ुद को शर्म को चौखट पर टांग जाते हो।
इज्ज़त देने का उसूलं होना चाहिए।
इज्ज़त देने वाले इज्ज़त कमातें है।
बेफिजूंल रूड़ीवादी समाज़ के।
ढकोसलें नहीं घसींटे जाते है।
