परछाइयां
परछाइयां

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ज़िन्दगी रेत की
मानिंद
सांसों की
मुठ्ठी से फिसलती है।
अतीत से परे
भी
अतीत की
परछाइयां
उभरती हैं।।
ज़िन्दगी रेत की
मानिंद
सांसों की
मुठ्ठी से फिसलती है।
अतीत से परे
भी
अतीत की
परछाइयां
उभरती हैं।।