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इंजि. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

Others

4.8  

इंजि. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

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पोवार को बन आरसा

पोवार को बन आरसा

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368


विधा - सरस छंद (मात्रिक)

मात्रा भार - १४, यति - ७,७

लगावली - गागालगा, गागालगा

मापनी: २२१२, २२१२


पोवार की, कर बात तू

संस्कार की, कर बात तू |

देखाव जी, तू धार को

पोवार की, अवकात तू ||१||


से बात या, आकार की

पोवार को, संस्कार की |

चल ठाट लक, पोवार तू

या शान से, जी धार की ||२||


गड़कालिका, को भक्त तू

आटावजो, खुद रक्त तू |

पोवार को, उध्दारला

साहित्य मा, बन सक्त तू ||३||


तू प्रार्थना, कर भोज की

तू याद बी, कर ओज की |

तू कल्पना, विस्तार कर

तू बात कर, नव खोज की ||४||


रुतबालका, देखाव तू

पोवार का, बी भाव तू |

संसारमा, बुद्धीलका

पोवार ला, सीखाव तू ||५||


देखाव तू, तोरा असा

बाना दिसे, विक्रम जसा |

कर्तव्य को, रस्ता परा

पोवार को, बन आरसा ||६||



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