पंख
पंख
क्यूँ भेज रहे हो अपने से दूर?
एक मासूम सी बच्ची ने भगवान से पुछा |
वो बोले तू है मेरी सबसे अच्छी बच्ची,
तेरी हर बात है सच्ची,
देना चाहता हूँ तुझे एक उपहार,
दिखाना है तुझको क्या है संसार ?
सुन कर वो जैसे कांप उठी !
ये कैसा उपहार प्रभु ?
यदि हुई है भूल कोई तो होगा सुधार प्रभु |
ये सुन कर प्रभु तनिक मुस्काए,
प्यार से उसके सर को सहलाए |
बोले नहीं हुई है भूल कोई,
सच में ये तेरा उपहार है,
अब तेरा ठौर संसार है |
मैंने सुना है वहां कोई किसी का नहीं होता,
सब लड़ते हैं,
बस एक स्वार्थ ही सबका सगा वहाँ |
ये तेरा, ये मेरा, वो उसका,
वो किसी और का,
दुष्टता, धृष्टता, क्रूरता, नकारात्मकता का
हर पल पहरा वहां ||
मैंने सुना है वहाँ लोगों में प्यार नहीं है,
नफरत, झगड़ा, मारपिटाई और टकरार भरी है |
वहाँ लोगों के सपने अपने नहीं होते,
दूसरों को पछाड़ने के लिए होते हैं |
हे प्रभु मुझे नहीं चाहिए आपका ये उपहार,
मैं यहीं रहूँगी, नहीं जाना मुझे संसार !
वे बोले जब-जब किसी को मिला है ये उपहार,
उसे मिला है जीवन में प्यार अपार|
पर वहाँ कौन होगा जो देगा मुझे आप जितना प्यार ?
मेरे लिए व्यर्थ हो जाएगा ये उपहार ||
मुझे सहन होगी आपकी मार पर न भेजो मुझे संसार||
कुछ पल छा गया आँखों के सामने अंधेरा,
न जाने कितनी पीड़ा कितने दुखों का था वहां पहरा,
आंसूंओं से था चेहरा भीगा, बड़ी हुई थी पीड़ा,
समझ में आ गया था अब संसार ही ठौर मेरा ||
सदमा बड़ा ही गहरा हुआ,
तभी लगा की ये था कोई सपना नया,
मुझे था भगवान् ने हाथों में थामा |
दुुःख अचानक से छुमंतर सा हुआ,
पर ये क्या ?
दुसरे ही पल ये आभास हुआ,
मुझे नहीं था प्रभु ने थामा,
सामने था एक चेहरा अंजाना |
न जाने क्यूँ अपना सा वो लगा,
उसका पहला स्पर्श प्रभु जैसा ही था |
स्वर्ग जैसा ही आभास हुआ,
वो पल था बड़ा सुहाना,
किसी ने ह्रदय से था मुझे थामा |
ये कौन था ?
मन में हलचल हुई,
तभी भगवान् ने चुपके से कान में कहा –
की ये माँ है तेरी
मुझे तो तुझे बताना पड़ता था
की कब क्या चाहिए तुझे,
ये तेरी बात बिन कहे समझ जाएगी,
तुझ तक कोई दुुःख न पहुंचे उसका पूरा ध्यान रखेगी ,
पूरे जीवन सबसे ज़्यादा प्रेम करेगी |
आँखों में आंसूं आ गए ये सुनकर,
चल गया पता की भगवान् ने
अपना रूप है पृथ्वी पर बनाया,
माँ का उसे नाम है दिया |
सारी परेशानी जैसे ओझल सी हो गयी,
माँ की स्मृति आँखों में बस गयी |
तभी भगवान् ने फिर से एक
और अनजाने चेहरे की ओर इशारा किया,
देख कर वो भी अपना सा लगा|
प्रभु ने उन्हें पिता का नाम दिया |
मैंने पुछा क्या ये भी हमेशा प्रेम करेंगे मुझे ?
वे बोले संसार में आज से यही हैं भगवान् तेरे |
सारी पीड़ा व परेशानी जैसे ओझल सी हो गयी,
भगवान् की नई स्मृति आंखों में बस गयी |
धीरे-धीरे समय बीतने लगा,
मम्मी-पापा से प्रेम और प्रगाढ़ हुआ |
मुझे क्या चाहिए बिन कहे समझ जाना,
मुझे दुखी देख मुझसे भी ज़्यादा दुखी हो जाना |
वो हर पल मुझसे ज़्यादा मेरा ध्यान रखना |
मुझे सेब पसंद हैं
उसके लिए पापा का दूर तक मार्केट जाना,
पर कहीं से भी हो सेब लेकर आना,
वो मेरे बीमार होने पर अस्पताल में रात भर जागना,
वो लगातार उनकी आँखों का नम होना |
वो शादी से पहले पापा का कहना,
बेटा तू है बड़ी भोली संभल कर रहना,
वो मम्मी का छुप-छुप कर रोना ,
वो मुझे विदा करते हुए दूर तक देखते रहना ...
आज जहाँ में आए ३६ साल हो गए हैं,
और उनका मेरे लिए प्रेम हर दिन यूँही बढ़ता जाता है |
आज भी वही प्रेम,
वही दुलार ...
अब समझ आता है,
सही में यही है मेरा आज तक का
सबसे अनमोल उपहार |
अब समझ आता है की हर दुुःख में हर सुख में,
हर क्षण में हर कहीं क्यूंकि भगवान् हो नहीं सकते ...
इसलिए उन्होंने आपको भेजा मेरे जीवन में एक मजबूत वृक्ष के समान ,
लेकर बहुत से अरमान...
आप दोनों ने ही प्रेम का पाठ पढ़ाया,
सबसे मिल कर रहो यही सिखाया,
पापा, निरंतर अभ्यास आपने सिखाया,
सकारात्मक सोच ,जोश के साथ प्रयास करते-करते,
हार न मानने का ज्ञान आपसे ही तो पाया |
कभी कभी माँ परेशान हो जाती हैं,
पता नहीं क्या-क्या सोचने लग जाती है ?
पर आज आपसे एक बात कहनी है ,
सबका ध्यान रहता है माँ,
बस कभी कभी थोड़ा थक जाती हूँ |
आज आपसे कहना है की,
कभी कभी पंख थोड़े कमजोर हो जाते हैं माँ,
कभी-कभी जीवन की उड़ान भरते भरते,
कठिनाइयों के पर्वत चढ़ते – चढ़ते,
जीवन सी गहरी नदियों को पार करते,
चुनौतियों सी हवाओं को चीरते,
विचारों के असीम आकाश विचरते,
धरती के गुरुत्व के धैर्य सी इस माटी पर रहते हुए,
थोडा थक जाते हैं, पर थोड़ी शक्ति सदैव शेष रहती है |
आपने ही सिखाया था
जीवन की कठिनाइयों को धैर्य पूर्वक पार करना ,
सर्प सी काली व विषैली चुनौतियों का डटकर सामना करना,
वही किया है माँ |
बस ऐसा करते-करते ही थोड़ा थक जाते हैं ,
पर थोड़ी शक्ति सदैव शेष रहती है |
जानती हो माँ ये थोड़ी शक्ति क्यूँ शेष रहती है ?
क्यूंकि मन में विश्वास है ,
की जिस के सर हो माता पिता का आशीर्वाद व
हो सत्य और सकारात्मकता की ढाल,
उसके पंखों में शक्ति पूरी तरह क्षीण हो नहीं सकती |
आपका विश्वास और प्यार,
करते हैं मुझमे शक्ति का संचार |
आपकी मुस्कराहट भर देती है मुझमे शक्ति अपार,
अब फिर से शक्ति बढ़ने लगी है,
हाँ पंखों में शक्ति बढ़ी है,
आपके प्रेम और ज्ञान से असीम शक्ति मिली है |
अब ये पूरे प्रयास और ताकत से उड़ेंगे ,
सच है जल्द ही एक ऊँची उड़ान भरेंगे |
सच है माँ जल्द ही एक ऊंची उड़ान भरेंगे ,
बस विश्वास और प्रेम कम न होने देना,
अपने करुणा रुपी कवच को मुझ पर से कभी मत हटाना,
क्यूंकि ये विश्वास भरते हैं मुझ में
और मेरे थके हुए पंखों को फिर से ताक़त दे देते हैं |
ऐसा नहीं की ये मात्र बातें हैं ,
सच है माँ बस थोडा धैर्य रखो |
आपके विश्वास और धैर्य की अवश्य ही इस बार जीत होगी,
ऊँची उड़ान ही इनकी पहचान होगी |
आप दोनों को मेरे पंख सदैव थामे रहेंगे ,
ये वचन है मेरा आपसे ,
हर ऊँची उड़ान में आप सदैव मेरे साथ होंगे ,
आप सदैव मेरे साथ होंगे..।।