पक्षियों का उन्माद
पक्षियों का उन्माद
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ये आवाज़े बेहद ख़ास हैं
किन्ही पक्षियों का उल्लास है
ये गा रहा कोई राग है
आज खिल उठा कोई बाग़ है
ये चह - चहाटे हो रही
कोई बाँसुरी सी गूँज रहीं
ये बज रहा कोई नाद है
किन्ही पक्षियों का उन्माद है
यू मीठे सुर के तार छेड़
खिलने लगे बरगद के पेड़
किसी देवता का वास है
कोई स्वर्ग मेरे पास हैं
आकर देख लो भगवान ज़रा
कैसे खिल रही मधुबन धरा