पित्र पक्ष
पित्र पक्ष
जीवन का हर मोड़,
किसी अपने से मिलाता है।
ये पितृ पक्ष हर वर्ष मुझे,
पूर्वजों की याद दिलाता है।
जीवन से जाना इक दिन,
हम सबकी मज़बूरी है।
किसे पता कब किसकी कौन सी,
इक्षा अभी अधूरी है।
ये संसार दुखों का सागर,
पाना है गर मुक्ति,
तो पितृ पक्ष जरुरी है।
करलो नियम धर्म जीवन में,
दे दो उनको अपना श्रमदान।
कर दो मुक्त सभी मोहों से,
लें स्वर्ग में वो अपना स्थान।
हैं कुछ यादें उनकी मन में,
साथ कभी जो रहते थे।
करते थे कर्तव्य वो पूरा,
तुमसे कुछ न कहते थे।
अब बारी जो आई तुम्हारी,
चलो निभाओ अपनी आन।
कर लो नियम धर्म जीवन में,
दे दो उनको अपना श्रमदान।
