पिंजर
पिंजर
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एक औरत की सारी खुशियां
ख्वाहिशें और मन मनिया
कैद है एक पिंजर में,
तलाशती हैं खुशियां।
पर मिलती नहीं उसे
कभी पीहर की कैद
तो कभी ससुराल की
छटपटाती औरत,
प्रश्न चिन्ह होता अस्तित्व की
पहनावा से लेकर श्रृंगार पर
चलने पर भी लगें हैं पहरे
तुम लड़की हो धीरे हंसो
कुछ तो सीखो घर बैठो
तुम्हें अब आगे नहीं पढ़ना
तुम्हें पराये घर है जाना।।
कभी भी मुक्त नहीं औरत पिंजर से,
पिंजर ही जीवन दर्शन, पैदाइश से
चिता की अग्नि तक,
पिंजर में रह कर छटपटाती यूं ही
जन्म से लेकर मृत्यु तक।।