पीढ़ियां और पाखंड
पीढ़ियां और पाखंड
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पीढ़ियां जब पाखंड को अपनाती हैं।
आने वाली पीढ़ियों के लिए ,
वहीं बात परंपरा से धर्म बन जाती है ।
पीढ़ियां जब पाखंड को अपनाती है।
नहीं सोचती .......
मूर्खों की टोली में,
अंधों का काना राजा बन सज जाती है ।
गलत बात को सौ - बार जब ,
सही- सही कहो ...अंत में ,
सत्य वचन हो जाती है।
पीढ़ियां जब पाखंड को अपनाती हैं।
दुनिया की सहूलियत में,
जब कोई बात आड़े आती हैं।
संस्कृति, मूल्यों के साथ -साथ ,
धार्मिक मान्यताएं भी बदल जाती हैं।
वहीं दुनिया अपनी मान्यताओं के लिए,
पाखंड को सांस्कृतिक धरोहर बना।
धर्म के नाम पर महाभारत की भूमिका तय कर जाती है।
