पीहर
पीहर
माँ की आवाज सुकून दे जाती है
फिर वो फ़ोन पर ही क्यूँ ना हो
लॉक डाउन के चलते
बेटियों का पीहर मिस हो गया
जिन्दगी के 25 साल जहाँ गुजारे
शादी के बाद पूरे साल के
सिर्फ ये ही तो 25 दिन मिलते है
जब वो ही बचपन हम फिर से जीना चाहते है
बच्चों के एग्जाम खत्म होते-होते
पीहर जाने के bag pack हो जाते है
भाई से मीठे झगड़े, भाभी के हाथ से
बने पकवान
बहनों का प्यार, शौपिंग के बाद का रविवार
माँ-पापा की हमारे लिए चिंता
और उनका प्यार सब कोरोना के
हवाले हो गया
लॉक डाउन के चलते
बेटियों का पीहर मिस हो गया
पूछते है बच्चे नाना-नानी से मिलने
कब जायेंगे?
हम तो हमारी मम्मी के पास है
तुम कब तुम्हारी मम्मी से मिलने जाओगे?
सवाल सुन मन उदास हो गया
लॉक डाउन के चलते
बेटियों का पीहर मिस हो गया
सच कहूँ तो बेटियां ही इतना सब्र
रख सकती है
इतने सपने मन में संजोए फिर भी
मन को समझा लेती है
क्या हुआ? जो लॉक डाउन के चलते
पीहर मिस हो गया....!
