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नम्रता सिंह नमी

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नम्रता सिंह नमी

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फुरसत

फुरसत

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फुरसत के पलों में

खुद से जो नज़रे मिलीं

यकीं मानो खुद से मोहब्बत हो गई।


कभी प्यार से खुद को दुलारा ही नहीं

जब प्यार से खुद पर हाथ रखा

आंखे नम हो गईं ...

सच मानो खुद से मोहब्बत हो गई।


अब तो बहुत भाता है

खुद से ढेरों बात करना..

प्यार से दुलार से खुद को पुचकारना

रोम रोम खिल जाता है

जब मैं खुद से नज़र मिलाती हूँ

सच मानो खुद से मोहब्बत हो गई।


रहे अब वक्त कोई भी

खुद को न नकारेंगे अब

अब जो हमको हम मिल गए

प्यार से खुद को संवारेंगे हम ...

सच मानो खुद से मोहब्बत हो गई।



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