STORYMIRROR

अनिल कुमार केसरी

Others

4  

अनिल कुमार केसरी

Others

फसल

फसल

1 min
322

किसान की मेहनत, उसका पसीना है फसल 

श्रम कण से सिंचित, खेतों का गहना है फसल।

पवन-नीर-किरणों का सम्मिश्रित रूप 

खेतों में मिट्टी के गुण-धर्म से उपजा 

हलधर के कोटिश हाथों के जादू स्वरूप 

खेतों में लहराता, हलधर का हँसता चेहरा है फसल

खेतों की माटी से निकला, भूमि का गहना है फसल।

कई-कई नदियों की धारा के पानी से भीगा

धूप में तपते किसान के माथे का पसीना

रंग-बिरंगे फूलों की मादक गंद से महका

खेतों में गेहूँ की बाली से निकला दाना है फसल

नदियों के पानी की आभा, चमक धूप है फसल।

किसी के जीवन का सार्वभौम यथार्थ

इंतजार कुछ दिन, महीनों, सालों का

पूरे होते, मिटते, कुछ सपने-सवालों का

समयचक्र के क्रम में समय से पकता रूप है फसल

किसान की मेहनत, जीवन की छाँव-धूप है फसल।

छोटे-मोटे कुछ अणु बीज कण से अंकुरित

हलधर के हल की नोक से भूमि को संम्पूरित

मिट्टी-पानी-धूप से मिल-झूलकर अनाज उगाता

किसान का मेहनताना, जीवन संचालन का साधन है फसल

किसी की आशा-निराशा, कितनों का जीवन पालन है फसल।।



Rate this content
Log in