" फिल्म अभिमान की कहानी "
" फिल्म अभिमान की कहानी "
( कविता में )
विमल मुम्बई में बहुत बड़ा गायक था ,
उसकी गायकी पर लोग मरते थे ,
जहां भी चलते भीड़ इकट्ठा हो जाती थी ।
गाने के लिए अनेक फरमाइशें आती थी ।
इनका - मीत ना मिला मन का , हिट हुआ,
उनकी एक महिला मित्र भी थी ,
जो उन पर जान छिड़कती थी ,
और उनसे शादी भी करना चाहती थी,
पर विमल बस उनके साथ समय बिताया करते थे।
एक दिन वे अपनी मौसी के गाॅंव गए ,
वहां एक दिन नदी के किनारे बैठे थे,
तो उन्हें बहुत सुंदर संगीत सुनाई दिया,
वहां एक लड़की ( वीणा ) गाना गा रही थी -'
नदिया किनारे हेराई आई कंगना '
वे उनके पीछे पीछे चल दिए,
वीणा मौसी के घर ही पहुंची ,
वो मौसी की भतीजी थी ,
विमल उस पर मोहित हो गए।
मौसी से बात कर विमल ने उससे शादी कर ली ।
और मुम्बई ले आए ,
मुम्बई में वीणा का शानदार स्वागत हुआ ,
उनकी जिंदगी प्यार के सागर में डुबकी खाने लगी ,
रोज सुबह चाय की प्याली के साथ
प्यार का इजहार बड़ा रोमांचक था।
महिला मित्र को इनकी शादी से बहुत दुख हुआ,
तथा अनेक लड़कियों को भी झटका लगा,
पेपर में बड़े - बड़े फोटो और स्कैनडल छपने लगे।
पर इन सबसे इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा।
एक दिन उनके मैनेजर ने वीणा का गाना सुना,
उन्हें बहुत पसंद आया
और उन्होंने दोनों पति-पत्नी को
साथ गाना गाने की सलाह दी।
दोनों ने गाना गाया - तेरी बिंदिया री ,रे आय हाय ,तेरी बिंदिया री,
गाना बहुत हिट हुआ ,
अब उनकी जोड़ी के लिए ऑफर आने लगा ,
दोनों मिलकर प्रेम से गाने लगे ।
- 'तेरे मेरे मिलन की ये रैना '
लुटे कोई मन नगर , बन के मेरा साथी
ये गाना भी हिट हुआ।
पर धीरे-धीरे लोग विमल से ज्यादा वीणा की गायकी को पसंद करने लगे।
एक दिन मैनेजर ने सिर्फ वीणा के लिए गाने का ऑफर लेकर आया ,
विमल को थोड़ा खराब लगा ,
पर वह तैयार हो गया कि वीणा अकेले गाएंगी ,
वीणा का मन नहीं होते भी विमल के लिए गाई।
उनका गाना ' पिया बिना पिया बिना '
हिट हुआ,
उसके बाद वीणा के लिए ऑफर आने लगे ,
उनका 'अब तो है तुमसे हर खुशी अपनी ' ,
लुटे कोई मन नगर बन के मेरा साथी , हिट हुआ,
जिसका विमल पर गहरा प्रभाव पड़ा ,
और वह वीणा से अलग हो गया ,
अपने गाने की पैसे भी अधिक मांगा ,
जो उसे नहीं मिला।
विमल अब वीणा से खराब व्यवहार करने लगा।
इसके कारण वीणा मैके चली गई,
वहां उसे पता चला कि वह माॅं बनने वाली है।
उसने यह खबर अपने भाई जैसे सेक्रेटरी को दिया,
जिसका विमल को खराब लगा ,
वह गांव नहीं गया उसकी जगह सेक्रेटरी भाई गया ।
इसके वीणा को गहरा दुख हुआ।
इस बीच विमल ने कोई खोज खबर नहीं ली ,
उसने भी गाना , गाना छोड़ दिया,
दुख की चोट में उसने अपने बच्चे को खो दिया।
इस सदमे की वजह से वीणा बिल्कुल चुप हो गई।
खबर पाकर विमल दौड़ा आया।
पर, वीणा को कोई फर्क नहीं पड़ा ,
उसने कोई बात नहीं की ।
विमल उसे मुम्बई लाया ,
उसका इलाज करवाया।
कोई इलाज नहीं सुन रहा था।
तो मैनेजर ने सलाह दी , अगर फिर गाना शुरू करो
तो वीणा ठीक हो जाएगी ।
विमल ने मंच पर फिर से वही गाना
- तेरे मेरे मिलन की ये रैना गाया ,
वीणा गाना सुन कर रोने लगी ,
फिर उसे भी मंच पर लाया गया।
दोनों ने मिलकर गाना गाया।
गाना गाते-गाते उनके गिले - शिकवे
ऑंसुओं में बहकर निकलने लगे।
वीणा सदमे से बाहर निकल आई।
साथ ही सारी ऑडियंस की ऑंखे भी
नम हो गई।
तालियों की गड़गड़ाहट से हाॅल गूंज उठा ।
जिंदगी के यथार्थ को दर्शाने वाली यह फिल्म सुपर हिट हुई।