पहाड़
पहाड़
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पता नहीं क्यों पहाड़ इतने अच्छे लगते हैं
लोगों से ज़्यादा यह अपने लगते हैं
कन कनाती सर्दी मे हम चले जाते हैं
राह अनजाने हड़ मोड़ पढ़ मन्त्र मुग्ध किए जाते हैं
वोह गर्म मैगी वोह चाय स्वाद हमको भाए जाते हैं
पता नहीं क्यों हम खींचे चले जाते हैं
कितनी यादें हैं जो हम जिए जाते हैं
पहाड़ अंछुए सास्वत ईस्वर स्वरुप हमें देखे जाते हैं
कुदरत को हमेशा इंसान बदलने की फिराक मे रहता हैं
एक पहाड़ ही हैं जो हमेशा उसे निराश किए जाते हैं।