पेड़ों को काटते जायेंगे तो
पेड़ों को काटते जायेंगे तो
वजह चाहे कोई भी हो
पेड़ों को पर अगर
ऐसे ही काटते जायेंगे और
जिसे काट रहे
उसके स्थान पर
एक नया पेड़ उगाने के लिए
कोई बीज या पौधा नहीं रोपा तो
वह दिन दूर नहीं कि
नीली छतरी के नीचे
भूरी जमीन पर
पेड़ों की चारों तरफ फैली
हरियाली
इसकी हरी छत
इसकी घनेरी छांव
हमारे सिर पर नहीं होंगे
सूरज की गर्मी
पेड़ों की हरियाली के
अभाव में
हमें और सतायेगी
धूप की तेज गर्म चिंगारियों से
जलायेगी
वायु प्रदूषित हो जायेगी
सांस लेने में तकलीफ बढ़ जायेगी
प्रकृति की एक अनूठी छटा और
पेड़ों पर हरे पत्तों, फूलों और
पत्तियों की बहार
हमसे छीन जायेगी
चिड़ियों का कलरव
कोयल का सुरीला सुर
सुनने को कान तरस जायेंगे
झूला झूलने के लिए
हम कौन सी पेड़ की डाल पर
फिर पेंग बढ़ायेंगे
कहां बैठकर हम फिर
खेलेंगे, सोयेंगे, पढ़ेंगे,
बतियाएंगे, कुछ गायेंगे और
पिकनिक मनायेंगे
मीठे मीठे फल हम फिर कहां से
तोड़कर खायेंगे
कल्पना करो कि
एक भी पेड़ न रहे शेष
सब कटकर पड़े हों इधर उधर
थका हुआ राहगीर
जमीन पर ही कहीं गिरा
पड़ा हो
साथ ही उसके सो रहे हो
जीव
जिनका आशियाना और
खेल का मैदान कभी होते थे
यह पेड़
वह रहते थे पेड़ों पर और
मानव उनकी छांव तले।