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Sajida Akram

Others

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Sajida Akram

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पाती, पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं

पाती, पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं

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आज फिर लिखने बैठा

मैं तुम्हें पाती प्रेम की

दिल की गहराई से

एक आवाज़ आई

पगले कितने लिखे

पत्र ना भेज पाया कभी

तू उसको, कि होती हिम्मत

लिखें हुए पत्रों को देने की

तो आज होता तू उसका पति

न कि उसका देवर


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