पारदर्शिता
पारदर्शिता
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क्या छुपा है
हमसे आज यहाँ
हर मोड़ पे
पारदर्शिता रहती है
कमी नहीं यहाँ
पारदर्शकों की
तभी तो मन
भी नहीं मरा है।
हर जगह
सभी कुुछ खुुला है
खुला है मन
सबका ही यहाँ
खुली हैं सारी
आशाएं
खुला है आज
बाधाओं का द्वार
खुले हैं सारे
अभिलाषाओं के हार।
सब कुछ यूँ ही
बना रहे
और रही
बने जग लालसा॥
