नयनसुख ,, प्रॉम्प्ट २६
नयनसुख ,, प्रॉम्प्ट २६
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कभी
टटोला करते थे हवाओं को
पांव सरकते सम्हल - सम्हल कर;
रास्ते की ऊंच नीच नापते
चलते जाते अनथक
' नयनसुख '
फ़िर लाठी ने थामा दामन
ठक - ठक, ठक - ठक, ठक - ठक, ठक - ठक;
राह तौलती, कहती जाती
चल, चलाचल, संग चलाचल
बढ़ते जाते अनथक
' नयनसुख '
नाज़ुक, नई - नवेली दुल्हन सी इठलाती
रुकती, बढ़ती
टिक - टिक, टिक - टिक, टिक - टिक, टिक - टिक;
हर दूजे को राह दिखाती
छुई - मुई सी बस जाती हाथों में
साथ निभाते अनथक
' नयनसुख।'
