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Dr. Anu Somayajula

Children Stories

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Dr. Anu Somayajula

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नयनसुख ,, प्रॉम्प्ट २६

नयनसुख ,, प्रॉम्प्ट २६

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कभी

टटोला करते थे हवाओं को

पांव सरकते सम्हल - सम्हल कर;

रास्ते की ऊंच नीच नापते

चलते जाते अनथक

' नयनसुख '


फ़िर लाठी ने थामा दामन

ठक - ठक, ठक - ठक, ठक - ठक, ठक - ठक;

राह तौलती, कहती जाती

चल, चलाचल, संग चलाचल 

बढ़ते जाते अनथक

' नयनसुख '


नाज़ुक, नई - नवेली दुल्हन सी इठलाती

रुकती, बढ़ती

टिक - टिक, टिक - टिक, टिक - टिक, टिक - टिक;

हर दूजे को राह दिखाती

छुई - मुई सी बस जाती हाथों में

साथ निभाते अनथक

' नयनसुख।'


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