STORYMIRROR

Kusum Joshi

Others

3  

Kusum Joshi

Others

नया भारत

नया भारत

2 mins
703

नया सूर्य है, नई रोशनी,

नए लोग हैं,

दकियानूसी सोच पुरानी ,

बदल रही है।


बदल रही है,

निति-रीति और बंधन सारे,

दकियानूसी सोच पुरानी,

बदल रही है।


धर्म -कर्म , ईश्वर और,

मर्यादा की गाथा,

प्रेम स्नेह के रिश्तों में ,

जाति की बाधा,


स्त्री और पुरुष के ,

सारे भेद पुराने,

काले और गोरे का अंतर,

अब बने फ़साने,


बदल रही हैं,

जीवन जीने की तरकीबें,

मानसिकता कुलिष पुरानी,

बदल रही हैं।


नया सूर्य है, नई रोशनी,

नए लोग हैं,

दकियानूसी सोच पुरानी ,

बदल रही है।


नभ की इस सीमा में,

नित विस्तार हो रहा,

मानव अपनी हर सीमा को,

पार कर रहा,


परिभाषाएं कई पुरानी ,

बदल चुके हैं,

मंगल में भी जीवन को,

अब खोज चुके हैं,


बदल रहा विज्ञान,

बन रहा जीवन वो अब,

चमत्कार की परिभाषा भी,

बदल रही हैं।


नया सूर्य है, नई रोशनी,

नए लोग हैं,

दकियानूसी सोच पुरानी ,

बदल रही है।


अब भी तुम क्या,

जाति-धर्म में देश बांटते,

मंदिर और मस्जिद के दम पर,

अब भी वोट मांगते,


अब भी तुम क्या समझ रहे,

अनपढ़ भारत को,

वो दौर ग़ुलामी में,

पिछड़े - सोए भारत को,


अब वो भारत नहीं रहा,

अब बदल गया है,

नव पीढ़ी की सोच नई है,

बदल रही है।


नया सूर्य है, नई रोशनी,

नए लोग हैं,

दकियानूसी सोच पुरानी ,

बदल रही है।


अब ना जाति- धर्म को,

तुम हथियार बनाओ,

हिन्दू- मुस्लिम में ना,

नफ़रत की तलवार चलाओ,


बंट चुके सैंतालिस में,

अब नहीं बांटेंगे,

भेंट सियासत की चालों में,

नहीं चढ़ेंगे,


अब ना कभी विभाजित होंगे,

सम्हल रहे हैं,

राजनीति की कुलिष चाल को,

समझ रहे हैं।


युवा जोश , सम्पूर्ण होश,

और संयम भी है,

भावी हैं कर्णधार देश के ,

बदल रहे हैं।


नया सूर्य है, नई रोशनी,

नए लोग हैं,

नए दौर का भारत हैं हम

बदल रहे हैं।।



Rate this content
Log in