नववर्ष 2024-25
नववर्ष 2024-25
निश्छल सरिता बहती जाए,
जीवन के निर्विकार सफर पर !
अंतस मन पुलकित हो जाए,
कविता के छन्दों में बह कर !!
ज्योत्सना सा हर आंगन में, छाया है नववर्ष ।
चारों ओर उल्लास मय है, धरती का उत्कर्ष ।
बच्चे बूढ़े झूम रहे सब, थामे उम्मीदों का दामन,
लेकर आएंगे हम खुशियाँ, हरियाली का सौंधा सावन,
कण कण महका है धरती का, हर मुखड़े पर हर्ष l
खट्टे-मीठे बीत चुके पल, कुछ कड़वे-गहराते साए,
कभी हंसे कभी रोये हम, फिर रोते-रोते मुस्काए,
रग-रग में उत्साह लिए , आशाओं का वर्ष,
आया है नववर्ष फिज़ा में छाया है नववर्ष ।