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vijay laxmi Bhatt Sharma

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vijay laxmi Bhatt Sharma

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नवमधु का प्रभात

नवमधु का प्रभात

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जगमगा रहा 

नवल प्रभात

कोयल की

मीठी ताने

भर रहीं हैं

जीवन में उल्लास,

नभ से झांकती

पीली किरणे

दे रहीं झुक झुक

सुनहरा प्रकाश,

महक रही

डाली डाली

ओंस की बूँदों

से महक रही मतवाली,

माली जल दे

सींच रहे

फिर देखो

नवपल्लिवित पुष्प

यहाँ खिल रहे,

भू से गगन तक

छाया है नव प्रभात

भरने मानस अंतर में

नव चेतना का विकास,

लो आ गया 

अमर प्रकाश।

जन कानन मे लाने

आशा का दीप जलाने

आरम्भ हुआ

नूतन मधु प्रभात

अविराम प्रेम की

पिंग बढ़ाने

लो आ गया

नवमधु का प्रभात।


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