नव भारत की आस
नव भारत की आस
नव वर्ष की नई सुबह में
एक मेरी मनोकामना,
सबके मन शुद्धता व्यापे
सबके मन संतुष्टि हो,
भूखा दु:खा कोई दिखे ना
हर घर में दिवाली हो..!
माँ भारत की शान बढ़े
मेरे देश में हो खुशहाली,
सरहद की सीमा पर मेरे
वीर कोई शहीद ना हो,
हर सुहागिन मांग सजी
हर माँ का दिल आबाद रहे..!
भोर एक जैसी सजे
हर घर-घर के आँगन में,
बच्चे बूढ़े ओर जवान
सबको एक सा सुख मिले,
जिसको जो चाहे उसको
वैसा ही वरदान मिले..!
स्वर्णिम भारत का सपना
देख रहा है हर इंसान,
आने वाले वक्त में भैया
ना गुड़िया कुरबान हो,
सोच परिवर्तन की लौ जगे
ओर देश मेरा महान बने..!
