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नशीला है सागर

नशीला है सागर

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नशीला है सागर ये आंखें जो तेरी
डूब जाऊ मैं उनमें जी चाहता है

लबों की वो प्यारी सी मुस्कान तेरी
तेरे साथ हंसने को जी चाहता है 

है कैसा सितम दूर जाने हो तुम क्यों
भर लूँ बाहों में तुमको जी चाहता है

सजी शाम है देखो महफिल भरी ये
तेरे साथ गाने को जी चाहता है

ये जुल्फें तेरी हो जैसे बहती हवा
तेरे साथ उड़ने को जी चाहता है

नहीं हो रहा अब सब्र मेरे दिल से
बात दिल की सुनाने को जी चाहता है

बहुत है हंसी इस जमाने में लेकिन
साथ पाने को तेरा ही जी चाहता है

ये दौलत ये शोहरत भले दे न पाऊं
मगर साथ जीने को जी चाहता है।

नशीला है सागर ये आंखे जो तेरी 
डूब जाने को उनमें जी चाहता है।

 

 


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