नज़्म
नज़्म
प्यार में यार से ना झूठ बोलना यारों,
दिल में बसा कर ना दिल तोड़ना यारों।
दर्द की बारिश बड़ी जलाती है सचमुच,
इश्क में बढ़ाया कदम ना मोड़ना यारों।
मिट्टी के तन में है शीशे सा नाजुक दिल,
थामकर हाथ किसी का ना छोड़ना यारों।
बिस्तर पर करवट रातों में सिसकियाँ,
फासलों की दस्तक से दूर ही रहना यारों।
आहट जो सुन लो मेहबूब के कदमों की,
झट से खिड़की दिल की खोलना यारों।
मिलती है सौगात ये किस्मत वालों को,
नेमत खुदा की मानों दिल जोड़ना यारों।
यकीन की नींव पर पलता है इश्क प्यारों,
शक के तराजू में इश्क ना तोलना यारों।
