निर्मल छाया...
निर्मल छाया...
मेरे पिताजी
सदा से थे और हैं
हमारे संयुक्त
परिवार के मुखिया।
घर में किसी को भी हो
कभी कोई हारी बिमारी
या हो किसी को कोई
दुख तकलीफ
तो वो अपनी परिपक्वता व
निर्णय क्षमता से निकाल लेते हैं
हर समस्या का समाधान
और पल भर में कर देते हैं
हर बात का निदान।
यदि हो घर में कभी भी कोई
शादी ब्याह या शुभ प्रसंग
तो वे बड़े ही चाव व उत्साह से
अपने कुशल नेतृत्व द्वारा
बखूबी सब कर लेते हैं सम्पन्न।
उनकी विशाल ह्रदयता पर हैं
सबको इतना अटूट विश्वास
चाहे हो गली मुहल्ला
या फिर हो पास पड़ोस
सब अपनी समस्या लेकर
आ जाते हैं इनके ही पास
और पिताजी की भी है
यही विशेषता कि
वो किसी को कभी भी
नहीं करते हैं निराश।
उनका व्यक्तित्व है
बरगद के विशाल वृक्ष के समान
जिसकी निर्मल छाया के तले
हम सब का जीवन है
अत्यंत ही सुखद
नितांत आसान।