STORYMIRROR

नम्रता सिंह नमी

Others

3  

नम्रता सिंह नमी

Others

निर्भया की निर्भयता

निर्भया की निर्भयता

1 min
157


कितनी कठिन रही न ये 7 सालों की यात्रा

फिर भी तुम्हारी जिजीविषा 

तुम्हारी माँ में झांकती रही,

वो पल जब तुम्हारी माँ हताश होती होगी

तुम्हारा दर्द उसका संबल बनता होगा,

उस आखिरी पानी की चंद बूंदों के लिए तरसी 

निर्भया की निर्भयता 

आज एक मिसाल बन गई।

दरिंदो को फांसी से लटका देख कर

कितना सुकून मिला होगा।

हमारी आंखों से आज झरते आंसू में

कितना दर्द है, कसक है, 

पर कहीं कुछ ठहरा सा है,

मुस्कुराता सा है।

ज्योति तुम्हारी लौ अलौकिक बन गई

हाँ, बिटिया आज तुम मिसाल बन गई।



Rate this content
Log in