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सोनी गुप्ता

Others

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सोनी गुप्ता

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नए साल पर नई उम्मीदें

नए साल पर नई उम्मीदें

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बीत गया एक और साल जैसे बीत जाती हैं रातें, 

फिर निकला नया सूरज फिर होंगी नई- नई बातें, 


मन की नगरी में हमने यादों का प्रतिबिंब संजोया, 

हर प्रतिबिंब संजो कर रखना ताकि बनी रहे यादें, 


सकुचाती कली से भौरों की गुंजन फिर सुनाई देगी, 

महक जाएगा वो उपवन होगी उम्मीदों की बरसातें, 


दुख -परेशानियाँ भी कम ना थी, बीते हुए सालों में, 

नया साल खुशियाँ भर लाएगा ना होगी पुरानी बातें, 


ना होगा करुण गान कहीं और ना ही होंगे आर्द्र कंठ, 

खुशबू होगी फिजाओ में लिखी जाएगी नई इबारतें, 


उजड़ी हुई बस्तियों में फिर से सावन झूमकर आएगा,

विरले मन-उपवन में होगी मस्त बहारें और बरसातें, 


कोई श्रद्धा का सुमन बनकर इस गले का हार बनेगा, 

कोई सपनों के पंख लगाकर जीवन का उपहार बनेगा! 



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