नदी का रास्ता
नदी का रास्ता
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घाटियों के वृक्ष मुझ में अपनी छवि निहारें
बड़े प्यार से।
बर्फीली कन्दराओं में सूर्य ताप जन्म देता
बड़े प्यार से।
सर-सर बहती हूँ इसलिए सरिता कहलाती हूँ।
तेज प्रवाह से बहती प्रवाहिनी भी कहलाती हूँ।
जल से लेती हूँ जीवन और पहचान मैं पाती हूँ।
किनारे मेरे अंग उठती-गिरती लहरें धड़कें
बड़े प्यार से।
बर्फीली कन्दराओं में सूर्य ताप जन्म देता
बड़े प्यार से।
