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Vaishno Khatri

Others

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Vaishno Khatri

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नदी का रास्ता

नदी का रास्ता

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घाटियों के वृक्ष मुझ में अपनी छवि निहारें

बड़े प्यार से।

बर्फीली कन्दराओं में सूर्य ताप जन्म देता

बड़े प्यार से।

सर-सर बहती हूँ इसलिए सरिता कहलाती हूँ। 

तेज प्रवाह से बहती प्रवाहिनी भी कहलाती हूँ।


जल से लेती हूँ जीवन और पहचान मैं पाती हूँ।

किनारे मेरे अंग उठती-गिरती लहरें धड़कें

बड़े प्यार से।

बर्फीली कन्दराओं में सूर्य ताप जन्म देता

बड़े प्यार से।



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