नैना अश्रु डुबोते नहीं
नैना अश्रु डुबोते नहीं
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गमों को आंसुओं से भिगोते नहीं,
क्योंकि लड़के रोते नहीं।
आ जाता है अहम आड़े मर्द है वो
इसीलिए रोक लेते हैं आंसू दर्द
दर्द सहकर वो।
आंसुओं के मोती पिरोते नहीं,
क्योंकि लड़के रोते नहीं ।
पुरुष का पुरुषत्व
कठोरता का एहसास
दबाने को मजबूर करें
भावों का प्रतिभास
भावों के जख्म उभरते नहीं,
क्योंकि लड़के रोते नहीं।
दर्द लिंग भेद नहीं करता
नाही आंसुओं के गिरने से है डरता।
मगर शायद साहस सभी
संजोते नहीं।
क्योंकि लड़के रोते नहीं।
