नारी
नारी
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वो मां थी जिसने पहले सबसे
आहट मेरी पहचानी थी
वो मां थी जिसके जरिए
मैं आऊंगा ये बात दुनिया ने जानी थी
वो बुआ थी जिसने नाम मेरा सबसे पहले पुकारा था
वो मौसी थी जिसने प्यार से मुझे संवारा था
वो बहिन थी जिसने अपना हिस्सा खुद न खाकर मुझे खिलाया था
वो बहिन ही थी जिसकी राखी से
पहली बार जिम्मेदारी का भाव आया था
वो बेटी बन आंगन में खिलखिलाती है
वो बन के पत्नी
मेरे घर को घर बनाती है
कई रूप हैं
कई रंग हैं तुम्हारे
जीवन चल रहा मेरा
बस तुम्हारे ही सहारे।
