नारी की शक्ति।
नारी की शक्ति।
मत लो मेरी सहनशीलता की ।
इतनी परीक्षा कि मेरी शक्ति जाग उठे।।
मैं आग हूँ जाग उठी।
तो कर दूंगी ,जग की कुप्रथाओं का विनाश।।
पुरुष वर्ग तुम मेरा भीतर ही भीतर ।
कर रहे हो शोषण और अत्याचार।।
फिर पूछते हो कि ,मैं क्यों हूँ परेशान ।
मत लो मेरी सहनशीलता कि।।
इतनी परीक्षा कि मेरी शक्ति जाग उठे ।
अगर मैं लक्ष्मी बाई बन गई ।।
तो कर दूंगी तुम पापियों का सर्वनाश ।
अगर मैं दुर्गा बन गई ।।
तो कर दूंगी तुम दुष्टों का संहार ।
मत लो मेरी सहनशीलता कि।।
इतनी परीक्षा कि मेरी शक्ति जाग उठे ।
तुम्हें पता है, मेरी भक्ति।।
आकाश से पाताल तक है मेरी शक्ति।
मत लो मेरी सहनशीलता कि।।
इतनी परीक्षा कि मेरी शक्ति जाग उठे।
तो फिर कर दूंगी मैं सृष्टि का विनाश ।।
मैं नारी हूँ , मैं नारी हूँ , भक्ति की शक्ति हूँ
