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Ratna Kaul Bhardwaj

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Ratna Kaul Bhardwaj

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नारी है नारायणी

नारी है नारायणी

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प्रथम नमन शक्ति माँ दुर्गा को

गाथा क्या बोलो अनेक रूपों की

सर्वशक्तिशाली है जगदम्बा

अभिमान है माँ, स्वर्गलोक की


पृथ्वी पर जन्मी अहेलिया, द्रौपदी

तारा, सीता, मन्दोदरी

थी यह नारियाँ सभ्य, साहसी

व थी पूजनीय उस युग की


दुर्गावती, नुचियार, लक्ष्मीबाई

उदादेवी, झलकारी, तारा बाई

है यह चंद नाम,अंग्रेजों की थी

जिन्होंने रातों की नींद उड़ाई


इंद्रा नूगी, इरोमा शर्मिला

अरुणदती, और भी कई

है यह सब गौरव का प्रतीक

आज के नव भारत की


हर युग में रही नारी देश की

अति साहसी व पराक्रमी

हर क्षेत्र में दिखाती रही प्रतिभा

कभी कहीं पीठ न दिखाई


हर अड़चन को है देती

उखाड़ झड़ से यह नारी

सर्वस्व लुटाए तन मन से

हर रिश्ते में है यह न्यारी


बिन नारी के असंभव है

इस सृष्टि का संपादन

किस सम्मान की है हकदार यह

करो ज़रा आज आत्म मंथन


समंदर जैसा जिसका अस्तित्व

उससे धूल न तुम बनाओ

न समझो उससे नादान व बोझ

उसकी अंतरात्मा को पहचानो.


नारी है नारायणी

नर की जन्मदात्री

खून से सींचे, दूध पिलाये

नारी है सिद्धिदात्री....



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